|| राशि क्या है? ||
वैदिक ज्योतिष के अनुसार राशि कर्क
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कर्क राशि में रविवार, मंगलवार, सोमवार में लाभ, बुधवार में हानि। कफ वात रोगा, गोरा रंग , तीन बार अल्प मृत्यु। 2,8,21,29 में रोग। टेढे व पतले पैर, दो भर्या, जलोदर रोग। कमर, माथे व पैर में घाव या ग्रन्थि (गांठ) से पीड़ा। नजर की कमजोरी, कठोर वाक्य, नीच जनों से प्रेम, शुक्रवार में होनि। काली वस्तुओं के कष्ट , सफेद व लाल वस्तुओं से अधिक लाभ। 8 वर्ष में वर्षा, हवा, जल से भय, गन्ध से लाभ। कर्क लग्न, मकर गत चन्द्रमा या संक्रांति के दिन जो वस्तु ले वह दुगुनी हो जाए। वात-कष्टी, हानि पाने वाला, पूर्व उत्तर में गृहद्वार, 48 या 84 में मृत्यु होती है। यो रोमक मत है। जवानी में दरिद्र, मध्यावस्था में सुखी। 3.7 वर्ष में ज्वरपीड़ा। चन्द्र वर्षेश होने पर जलभय लेकिन गन्ध पदार्थो से लाभ । 3 वर्ष में वामांग में अग्निभय। लिंग पर तिल, सिर रोगी , सुखी। 32 में अल्पमृत्यु। 29 में सर्पभय। माघ शुक्ल व शुक्रवार हस्त नक्षत्र में परेशानी से मृत्यु पाता है। यह यवन मत है। 4.8.12 वर्ष में सिर, कान व आँख में फोड़े। त्रिदोष भय।16.24 वर्ष में लकड़ी, जल, भूत, पर्वत भय, गुप्तांग पीड़ा। 36 वर्ष में विष, चोर, पत्थर, जल से भय। सुन्दर नेत्र, स्त्रीवशी, उद्यान व कृषिकर्ता, कार्य कुशल लेकिन भीरू होता है। यह जन्म प्रदीप का मत है। |
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